Air pollution in hindi information essay PDF | वायु प्रदूषण क्या है कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण के उपाय निबंध 1200 शब्द

वायु प्रदूषण विश्व की एक गंभीर समस्या है जिसका भुगतान हम सभी प्राणी देते हैं इसका बढ़ने का मुख्य कारण तेजी से विकासीकरण है और प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित उपयोग जैसे यातायात वाहन, फैक्ट्रियां, विज्ञान अनुसंधान एवं अन्य कारक शामिल है आज के पोस्ट में हम Air pollution in hindi इन्हीं पर विस्तार से चर्चा करेंगेे

वायु प्रदूषण क्या है? What is Air pollution in hindi

स्वच्छ एवं सन्तुलित वायुमण्डल में ऑक्सीजन लगभग 21%, नाइट्रोजन लगभग 79%, कार्बन डाइऑक्साइड लगभग 0.03% तथा कुछ अन्य गैसें सूक्ष्म मात्रा में पायी जाती है। इन गैसों का जीवधारियों और वायुमण्डल के मध्य चक्रीकरण (cycling) होता रहता है।

वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनॉक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड, धूल के कण, कार्बन कण आदि की मात्रा में वृद्धि तथा अन्य हानिकारक पदार्थों के समावेश के कारण वायु प्रदूषण होता है। और यह वायु प्रदूषण कहलाता है।

वायु प्रदूषण के प्रकार एवं वायु प्रदूषण कैसे होता है?

वायु प्रदूषण निम्नलिखित दो प्रकार से होते हैं।

1.वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत (Natural sources of Air pollution) —

ज्वालामुखी से निकलने वाली राख, आँधी और तूफान के समय उड़ने वाली धूल, जंगलों में लगी आग से निकलने वाला धुआँ आदि वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत हैं।

2.वायु प्रदूषण के मानवीय स्रोत (Human sources of Air pollution)-

सबसे अधिक वायु प्रदूषण औद्योगिक संस्थानों, ईंट के भट्टों तथा स्वचालित वाहनों से होता है। घरों में ईंधन जलने से तथा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से भी वायु प्रदूषण होता है। धुआँ एक सामान्य वायु प्रदूषक है। धुएं (smoke) तथा कोहरे (fog) के संयोग से धुन्ध (smog) बनती है।

स्वचालित वाहनों से निकलने वाले अदग्ध (unburnt) हाइड्रोकार्बन्स एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड सूर्य के प्रकाश में प्रतिक्रिया करके फोटोकेमिकल स्माँग (photochemical smog) बनाते हैं।

इसका मुख्य अंश परऑक्सीएसीटिल नाइट्रेट (peroxyacetyl nitrate,PAN) होता है। परमाणु विस्फोट से उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थों के कणों के विकिरण से वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव एवं कारण (Effect of Air pollution in hindi)

1.धुंआ तथा कोहरा मिलकर धुन्ध (smog) बनते है। इससे मनुष्यों में दमा (ब्रॉन्काइटिस), एम्फीसिमिया
आदि श्वास रोग हो जाते हैं।

2.परऑक्सीएसीटिल नाइट्रेट (PAN) के कारण आँखों में जलन होती है। इससे श्वॉस रोग हो जाते हैं। यह पौधों के लिए भी हानिकारक होता है। यह प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया में बाधा पहुँचाता है जिससे पौधों में वृद्धिरोधन होता है।

3.सल्फर डाइऑक्साइड (SOS) से दमा (asthma), खाँसी, फेफड़ों के रोग आदि हो जाते हैं। वायु की सल्फर डाइऑक्साइड पादप कोशिकाओं में पहुँचकर सल्फ्यूरिक अम्ल (H,SOA) बनाती हैै,

जिससे कोशिकाओं में जीवद्रव्यकुंचन (plasmolysis) होने लगता है। पादपों में हरितलवक तथा पर्णमध्योतक ऊतक नष्ट होने लगते हैं जिससे पत्तियाँ सूखने लगती हैं।

4.कार्बन मोनोऑक्साइड से क्षयरोग, फेफड़ों का कैन्सर, दमा आदि रोग हो जाते हैं। कार्बन की अधिकता से श्वास लेने में कठिनाई होती है,

और अन्त में श्वासावरोध (asphyxiation) के कारण मृत्यु भी हो सकती है। ऐसा प्रायः सर्दियों में बन्द कमरे में कोयले की अंगीठी के प्रयोग से होता है।

5.ऐस्बेस्टस कणों से कैन्सर तथा यकृत रोग हो जाते हैं।

6.कैडमियम कण श्वसन विष (respiratory poison) की तरह कार्य करते हैं इनके कारण रक्तचाप(blood pressure) बढ़ जाता है।

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7.प्रदूषित वायु से त्वचा रोग हो जाते हैं।

8.परमाणु विस्फोट के फलस्वरूप मुक्त रेडियोधर्मी पदार्थों के कणों तथा उससे उत्पन्न विकिरण (radiation) के कारण उत्परिवर्तन (mutation) होते हैं।

उत्परिवर्तन के फलस्वरूप कैन्सर, ल्यूकेमिया, असामयिक बुढ़ापा (pre-mature old age) तथा तन्त्रिका तन्त्र सम्बन्धी रोग (nervous disorder) हो जाते हैं। उत्परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न लक्षण वंशागत होते हैं।

9.औद्योगिक संस्थानों, तेलशोधक कारखानों, स्वचालित वाहनों आदि में ईंधन के जलने से सल्फरडाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसें मुक्त होती हैं। ये वायुमण्डलीय नमी से मिलकर अम्ल में बदल जाती हैं।

सल्फर डाइऑक्साइड से सल्फ्यूरिक अम्ल (H,2SO,4), नाइट्रोजन के ऑक्साइड से नाइट्रस (HNO,2) एवं नाइट्रिक अम्ल (HNO,3) तथा कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बोनिक अम्ल (H,2CO,3) बनते हैं।

ये वर्षा जल के साथ मिलकर अम्ल वर्षा (acid rain) के रूप में पृथ्वी पर बरसते हैं। अम्ल वर्षा फसलों, जन्तुओं और भवनों के लिए हानिकारक होती है। अम्ल वर्षा के कारण ताजमहल तथा अन्य प्राचीन
इमारतें प्रभावित हो रही हैं।

10.कार्बन डाइऑक्साइड (CO,2), नाइट्रस ऑक्साइड (N,2O), मीथेन (CH,4) क्लोरोफ्ल्यूरो कार्बन (फ्रिऑन जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर, एअरकण्डिशनर, फोम तथा ऐरोसॉल स्प्रे में किया जाता है) आदि पृथ्वी से वापस जाने वाली ऊष्मा को रोककर ग्रीन हाउस प्रभाव (green house effect) उत्पन्न करती हैं।

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल का ताप बढ़ रहा है। इसके फलस्वरूप ध्रुवों की बर्फ पिघलने से समुद्र में जल का स्तर बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो रहा है।

11.पृथ्वी के चारों ओर पायी जाने वाली ओजोन पर्त को क्लोरीन परमाणु, ऐरोसॉल आदि क्षति पहुँचा रहे हैं। ओजोन की पर्त पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है।

पराबैंगनी किरणों के कारण त्वचा का कैन्सर, मोतियाबिन्दु (cataract), उत्परिवर्तन आदि हो जाते हैं। पराबैंगनी किरणों से रोगरोधक क्षमता (immunity) भी प्रभावित होती है।

12.धूल के कणों के प्रभाव से श्वॉस रोग हो जाता है। कोयले की धूल, सिलिका, अनाज की धूल,कपास की धूल आदि मनुष्य को अत्यधिक हानि पहुँचाती हैं।

वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय (Preventive methods for Air pollution in hindi)

1.वृक्ष वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक होते हैं। ये वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करके ऑक्सीजन मुक्त करते हैं जिससे वायु शुद्ध होती है। इसलिए वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।

2.मकानों में वायु एवं प्रकाश के आवागमन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, इससे मकान का वातावरण शुद्ध बना रहता है। सूर्य प्रकाश के कारण अनेक हानिकारक सूक्ष्मजीव नष्ट होते रहते हैं।

3.भोजन बनाने के लिए लकड़ी, कोयला या गोबर के उपलों के स्थान पर पैट्रोलियम गैस (LPG) या गोबर गैस का प्रयोग किया जाना चाहिए।

इससे वनों की सुरक्षा के साथ-साथ वायु प्रदूषण को रोकने में भी सहायता मिलती है। घरों में जहाँ अंगीठी या चूल्हे का प्रयोग होता है, ऊँची चिमनी की व्यवस्था होनी चाहिए।

4.औद्योगिक संस्थान आबादी क्षेत्र से दूर होने चाहिए। इनसे निकलने वाले धुएं को कम करने के लिए विशेष प्रकार के छन्नों (filters) का प्रयोग किया जाना चाहिए। इनकी चिमनियाँ पर्याप्त ऊँची रखनी चाहिए।

5.शहरों में स्वचालित वाहनों का आवागमन अधिक रहता है इसलिए आवास-स्थल मुख्य मार्गों से दूर होने चाहिए। इससे धूल, धुआँ तथा हानिकारक गैसों से बचाव हो सकता है।

6.स्वचालित वाहनों में ऐसी युक्तियाँ प्रयोग की जानी चाहिए जिससे ईंधन का पूर्ण रूप से प्रयोग हो सके और धुआँ आदि कम मात्रा में ही निकलें। अदग्ध हाइड्रोकार्बन्स मनुष्य को अधिक हानि पहुँचाते हैं।

सीसा रहित पैट्रोल का प्रयोग किया जाना चाहिए। डीजल में कुछ अन्य पदार्थ मिलाकर प्रयोग किया जाना
चाहिए। बैटरी, विद्युत एवं सी०एन०जी० चलित वाहनों का विकास किया जाना चाहिए।

7.मल पदार्थों का निपटारा वैज्ञानिक विधि से किया जाना चाहिए। गोबर को गड्ढों में डालना चाहिए। इससे प्रदूषण को रोकने में सहायता मिलती है।

8.भूमि को खाली नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि इससे धूल उड़कर वायु को प्रदूषित करती है।

Air pollution in hindi video

Q.1.वायु प्रदूषण कैसे होता है?

उत्तर- वायु प्रदूषण होने का कारण प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित उपयोग जैसे यातायात वाहन, फैक्ट्रियां, विज्ञान अनुसंधान एवं अन्य कारक शामिल हैं इनसे वातावरण मे ऑक्सीजन की कमी एवं जहरीली गैसों का बढ़ना है।

Q.2.वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय बताए?

उत्तर- गांव एवं शहरों से फैक्ट्रियों को दूर करें, यातायात वाहनों का समुचित उपयोग करना, अधिक से अधिक पर लगाना पेड़ों को लगाना, क कोयला, पेट्रोलियम का उपयोग कम करना, आदि।

Q.3.वायु प्रदूषण क्या है?

उत्तर- वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनॉक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड, धूल के कण, कार्बन कण आदि की मात्रा में वृद्धि तथा अन्य हानिकारक पदार्थों के समावेश के कारण वायु प्रदूषण होता है। और यह वायु प्रदूषण कहलाता है।

Q.4.वायु प्रदूषण से क्या क्या हानि होती है?

उत्तर- वायु प्रदूषण से मुख्यतः सांस की बीमारियां अधिक होती हैं जैसे सिरदर्द और चिंता, आंखों, नाक, गले में जलन, हृदय रोग, थकान, तंत्रिका तंत्र को छति पहुंचना, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।

Q.5.वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत क्या है?

उत्तर- औद्योगिक संस्थानों, तेलशोधक कारखानों, स्वचालित वाहनों आदि में ईंधन के जलने से सल्फरडाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसें मुक्त होती हैं। ये वायुमण्डल को बहुत छति पहुंचाते हैं।

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